Additional information
Author | Shivendra Pratap Singh |
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Pages | 24 |
Language | Hindi |
Publisher | TBS Planet Comics |
Binding | Paperback |
₹199.00 ₹99.00
ज़िंदगी उस प्रतिध्वनि के सामान है जो हमें हमारी ही फेंकी आवाज़ लौटाती है| वो कहते हैं ना कि “जैसा बोओगे, वैसा ही पाओगे”, इसी लोकोक्ति को जो अपराध के खिलाफ अपनी शमशीर बनाकर लड़ रहा है, वो है बेंगलुरु का रक्षक – “कर्मा”| मुल्ज़िमों को “जैसे को तैसा” वाली सज़ा देना ही इस रक्षक की फितरत है| पर आखिर ऐसा क्या क्या हुआ उस भोले-भाले “अभय” के जीवन में जो आज वो “कर्मा” जैसा निडर पर निर्दयी रक्षक बन गया?
अभय ने “कर्मा” का अवतार यूँ तो ‘इग्नाईट इंडिया फाउंडेशन’ के संस्थापक, प्रकाश राय के खिलाफ लगे झूठे आरोपों को ख़त्म करने और उनके गुनाहगारों को गिरफ्तार करने लिया था| पर क्या यही उसकी असली शुरुआत थी?
तो दोस्तों, दिल थाम कर बैठिये, क्योंकि इस कहानी को ठीक वहीं से शुरू करने जा रहे हैं जहाँ पर अभय के “कर्मा” बनने के बीज बोये गए थे|
कर्नाटक में स्थित शिमोगा के पास अनेसरा नामक एक छोटा सा गाँव है| शहरों की भागा-दौड़ी से भरी ज़िंदगी से दूर ये गाँव एक शांत वातावरण और तनाव रहित जीवन का प्रतीक है| कहानी तीन वर्ष पूर्व शुरू होती है| अठारह वर्षीय अभय इसी गाँव में इंस्पेक्टर श्याम का एकलौता पुत्र था| उन दिनों उसने अपनी बारहवीं कक्षा की वार्षिक परीक्षा उत्तीर्ण की थी और अब आगे “नेशनल एथलेटिक अकादमी” में प्रवेश लेने में जुटा हुआ था| अभय अपने पिता के सामने एन.सी.सी. कैंप में अपनी अचूक निशानेबाजी का प्रदर्शन दे रहा है और उम्मीद कर रहा है कि इस प्रदर्शन से प्रभावित होकर उसे वो अकादमी में एडमिशन लेने के लिए हामी भर देंगे| अभय के हिसाब से तो उसने अपना पूरा जीवन ही मानो प्लान कर लिया था, पर ज़िंदगी पर किसका वश चलता है? शायद अभय ने भी नहीं सोचा था कि जिन्दगी के पृष्ठ इतनी तेज़ी से पलटेंगे और उसे इतने अकल्पनीय मोड़ों से जाने पर मजबूर कर देंगे, कि वो भी नि:शब्द रह जाएगा|
Author | Shivendra Pratap Singh |
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Pages | 24 |
Language | Hindi |
Publisher | TBS Planet Comics |
Binding | Paperback |
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